इशक ने कहा देखी हे सरहदे..
इशक ने कहा जाना है मजहब को.
बस उसने तो पेहचाना है इनसान को.
उसने कहा मागी किसी वजह को...
उसे कहा बंदिश है भाषा ओर शबद की.
उसे कहा परवाह हे कीसी अदब की..
ये तो युही हो जाता है.
बस जब नेक दिल से एक नेक दिल पास आता हे..
इशक ने कहा जाना है मजहब को.
बस उसने तो पेहचाना है इनसान को.
उसने कहा मागी किसी वजह को...
उसे कहा बंदिश है भाषा ओर शबद की.
उसे कहा परवाह हे कीसी अदब की..
ये तो युही हो जाता है.
बस जब नेक दिल से एक नेक दिल पास आता हे..
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