After having a very good converstion with one of my gud frnd n few seeps of tea......
first time I try to put my words in HINDI
क्या हम सुनेगे ? कब हम सुनेगे ?
उस चीख को ,
उस गभारायी , उस कपकपाती आवाज को ,
उस दबी हुई सी ,सहमी हुई सी आवाज को,
के हर बार हम उसे समजाने का ,
हर बार हम उसे बहकाने का ,
बस प्रयत्न मात्र करते रहेंगे …….
के बस हम निभाते रहेंगे खोकली प्रथाओ को ,
और हम बहेकते रहेंगे भड़काऊ भाषण से.…
कब हम सोचेंगे सही मैं किसका स्तर नीचे जा रहा है.… गिर रहा है ….
हमारी सोचा का या हमारी नैतिकता का.…
बस मैं राह देख रहा हुं …सोच रहा हुं कि ?
कब हम सुनेगे ? सुन पाएँगे ?
उस आवाज़ को ,
कब वो हर आवाज़ बनेगी …
निर्भय ……
Dr. jignesh parmar